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इवान गूलागौंग – संघर्ष से सफलता

जितेन्द्र माथुर
जितेन्द्र माथुर
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आज से आधी सदी से भी अधिक पहले की बात है – ऑस्ट्रेलिया के बरेलान नामक एक छोटे-से कस्बे में कुछ लड़के एक मैदान में टेनिस खेल रहे थे । एक छोटी-सी बच्ची बड़े चाव से उन लोगों का खेल देख रही थी । जब भी किसी लड़के के शॉट से गेंद उछलकर उसके पास गिरती, वह उसे उठाकर उन्हें वापस दे देती । इससे अधिक कुछ करना उसके बस की बात नहीं थी क्योंकि वह एक अत्यंत साधारण परिवार में जन्मी थी और उसकी इच्छाओं को पूरा करना उसके घरवालों के बस की बात नहीं थी ।

लड़की रोज़ उन लड़कों का खेल देखने आया करती । धीरे-धीरे वे लड़के भी उसे पहचानने लगे । एक दिन खेल समाप्त करके घर जाते समय उन लड़कों ने एक पुरानी टेनिस गेंद उस लड़की को दे दी । उस एक पुरानी गेंद को पाकर लड़की ऐसी प्रसन्न हुई मानो उसे कारूं का खज़ाना मिल गया हो । चूँकि खेलने के लिए उसके पास और कुछ नहीं था, अतः वह वैसे ही गेंद को उछाल-उछालकर खेलती रहती ।

गेंद खेलने में लड़की की इतनी रूचि को देखकर एक दिन उसकी चाची ने उसे एक रैकिट दिलवा दिया । अब लड़की के पास गेंद भी थी और रैकिट भी । लेकिन खेलने के लिए कोई साथी अब भी उसके पास नहीं था । इस समस्या का हल उसने यह निकाला कि वह एक हाथ से गेंद को उछालकर दीवार पर मारती और जब गेंद दीवार से टकराकर लौटती तो वह दूसरे हाथ में रैकिट थामकर उस पर बैकहैंड स्ट्रोक लगाने का प्रयास करती । करतकरत अभ्यास के जड़मति होत सुजान । यूँ ही सतत अभ्यास करते-करते एक दिन वह लड़की बैकहैंड स्ट्रोक लगाने में ऐसी पारंगत हो गई कि पूरी दुनिया में इस मामले में उसका कोई सानी नहीं रहा ।

लड़की का नाम इवान गूलागौंग था । इवान कई वर्षों तक ऐसे ही स्वतः ही टेनिस खेलने का अभ्यास करती रही । फिर एक दिन उसे दूसरे खिलाड़ियों के साथ भी खेलने का अवसर मिला । उसके खेल की तेज़ी और निपुणता ने अच्छेअच्छों को चौंका दिया । उस साधारण परिवार की लड़की का नाम उसके कस्बे की सीमाओं को तोड़कर पहले उसके देश और फिर दुनिया में फैलने लगा ।

Evonne Goolagong - Wimbledon

आख़िर इवान पेशेवर टेनिस जगत में उतरी और एक-के-बाद-एक मुक़ाबले जीतती हुई शोहरत हासिल करती गई ।वह मार्गरेट कोर्ट को दुनिया की सबसे अच्छी महिला टेनिस खिलाड़ी मानती थी । संयोगवश १९७१ की विंबलडन प्रतियोगिता के एकल फ़ाइनल में इवान का सामना मार्गरेट कोर्ट से ही हो गया । मुक़ाबले से पूर्व इवान थोड़ी आशंकित थी लेकिन मैदान में उतरते ही वह यह भूल गई कि मार्गरेट उससे बड़ी खिलाड़ी है । वह पूरे आत्मविश्वास के साथ खेली और मार्गरेट को हराकर टेनिस की दुनिया में तहलका मचा दिया ।

१९७५ में इवान ने विवाह किया । लेकिन विवाह के बाद भी उसका टेनिस खेलना जारी रहा । अपने वैवाहिक जीवन में वह दो बच्चों की माता बनी । इसके बाद भी १९८० में क्रिस एवर्ट को हराकर विंबलडन का ख़िताब फिर से जीतकर इवान ने साबित कर दिया कि बढ़ती हुई उम्र तथा गृहस्थ जीवन भी उसके पक्के इरादों के मार्ग में रुकावट नहीं बन सके थे ।

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इवान गूलागौंग ने एक दशक से अधिक लंबे अपने टेनिस करियर में अनेक प्रतिष्ठित ख़िताब जीते जिनमें एक फ़्रेंच ओपन, दो विंबलडन तथा चार ऑस्ट्रेलियन ओपन टाइटल शामिल रहे । एक पुरानी गेंद से खेलना आरंभ करने वाली एक छोटे-से कस्बे की इस साधारण लड़की का नाम आज संसार की सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ महिला टेनिस खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है ।

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